Famous Lakes In Kangra District
||Famous Lakes In Kangra District||Famous Lakes In Kangra Distt(Himachal Pradesh In Hindi)||
जिला कांगड़ा :-Famous Lakes In Kangra Distt
- डल झील : कांगड़ा जिले में तीन प्राकृतिक झीलें हैं, जिनमें डलझील भी एक है जो धर्मशाला से 11 किलोमीटर दूर है। यह झील रिक्कड़मार के नजदीक बलानधार में स्थित है, जिसके इर्द-गिर्द लम्बे-लम्बे पेड़ों के झुरमठ हैं। इस झील के किनारे भगवान द्रीवेश्वर का मंदिर है जिसका निर्माण ऋषि अगस्तया ने करवाया था। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधाअष्टमी के दिन यहां पर मेला लगता है जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल होते हैं। झील की समुद्र तल से ऊँचाई 1775 मीटर है तथा इस झील को 'भागसुनाग' झील के नाम भी जाना जाता है।
- करेरी झील : यह समुद्रतल से 1810 मीटर की ऊंचाई पर धर्मशाला से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह झील हरे-भरे ओक और पाईन के पेड़ों के मध्य स्थित है जिसका पानी ल्यून खड्ड में जाकर मिलता है।
- मछियाल झील : जिला कांगड़ा के मुमटा गांव में यह झील धार्मिक प्रवृति के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह एक प्राकृतिक झील है जो नगरोटा बागवां से 2 किलोमीटर की दूरी पर जुगाल खड्ड के किनारे पर स्थित है, जिसके एक ओर माँ संतोषी का मंदिर तथा दूसरी ओर प्राचीन कालीन मछिंदर महादेव का मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि ऋषि मछिंदर ने एक लम्बे समय तक यहां तपस्या की थी। ऋषि मछिंदर की याद में इस मंदिर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर के साथ लगती झील में विभिन्न आकार की सैंकड़ों मछलियां हैं। इन मछलियों की पूजा की जाती है तथा कोई भी इन्हें मार नहीं सकता। सप्ताह के मंगलवार और शनिवार विशेष दिन होते हैं, जब दूर-दूर से श्रद्धालु मछलियों को आटा खिलाने तथा मांगी गई मन्नत के पूरा होने पर उनका धन्यवाद करने आते हैं।
- पोंग झील : जिला कांगड़ा की एक मात्र मानव निर्मित झील पोंग झील है, इसे महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है। पक्षियों की प्रवास स्थली के रूप में प्रसिद्ध हिमाचल के कांगड़ा जिला की महाराणा प्रताप झील विश्व के मानचित्र पर अपना विशेष स्थान बना चुकी है। यहां सर्द ऋतु के आगमन पर विदेशी मेहमान पक्षियों का जमा होना शुरू हो जाता है। पक्षियों की कलरव से गुंजायमान यह झील बरबस ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। जल में अठखेलियां करते पक्षियों का मनमोहक दृश्य न केवल हिमाचली धरा को नई संगीतमय लय प्रदान करता है, बल्कि आकाश पर आवागमन करते विभिन्न स्वरूपों के दृश्यों को एक कलाकार की कृति के रूप में भी अंकित करता है। । प्रकृति में सुंदरता, निर्मलता और भव्यता को दर्शाती यह झील भारत की पर्यावरण स्वच्छता के अनुकूल हिमाचली वादियों की स्वच्छता की ओर इशारा करती है। प्रकृति के सतरंगी स्वरूप में चित्रित रंगों की विभिन्नता और आकर्षण का यहां कलात्मक चित्र नजर आता है। हर वर्ष प्रवासी पक्षियों का बड़ी संख्या में इस वेटलैंड पर आना व पक्षियों की प्रजातियों में जबरदस्त वृद्धि पॉँग झील की प्रसिद्धि को दर्शाता है। धौलाधार के प्रांगण में विकसित हो रहे इस सुंदर स्थल ने हिमाचल में आने वाले प्रत्येक पर्यटक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया है। वर्ष 1960 में निर्मित पॉँग बांध का यह अभयारण्य स्थल राजस्थान के भरतपुर अभयारण्य के बाद देश का ऐसा स्थल बनके उभरा है, जहां पर प्रत्येक वर्ष मेहमान पक्षियों की विशेष प्रजाति में प्रसिद्ध लाल गर्दन वाले हंस प्रवास करने आते हैं। विश्व की इस प्रसिद्ध वेटलैंड में पक्षियों की संख्या में साल दर साल वृद्धि ही दर्ज की जा रही है। इस वेटलैंड में दोबारा लौटकर आने वाल पक्षियों की प्रतिशतता चौकाने वाली है और इसी क्रम में आठ प्रतिशत पक्षी यहां दोबारा डेरा अवश्य डालते हैं। यहां साइबेरिया के दुर्गम क्षेत्रों से कई सौ किलोमीटर की यात्रा करते हुए पक्षी आते हैं, जो अत्याधिक ठंड से छुटकारा पाने के लिए भारत की तरफ अग्रसर होते हैं।
Famous Lakes In Kangra District @Himexam.com
पक्षी ऐसे स्थलों में निर्भय होकर अपना प्रवास पूरा कर वापस चले जाते हैं। जब इनको यहां किसी तरह के भय का संशय नहीं होता, तो वे पुन: इस वेटलैंड में आने को बाध्य हो जाते हैं। पक्षियों से छेड़छाड़ और उनके वातावरण को बिगाड़ना उनके यहां पर प्रवास को प्रभावित करता है। कभी-कभी प्राकृतिक परिस्थितियों में बदलाव उनकी दिशा को परिवर्तित करने का कारण बन सकता है, परंतु हमें मानवीय प्रयत्नों से इस स्थल को सुदंरतम बनाने के प्रयत्न जारी रखने चाहिए। आज जिस तरह पक्षियों के जमावड़े को देखने के लिए पाँग झील के आसपास सैलानियों का मेला उमड़ता है, यह प्रकृति प्रेम का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। देहरा पुल से होते हुए झील का अवलोकन यात्रियों को प्रवासी पक्षियों के दर्शन करवा देता है। इसी तरह मसरूर व नगरोटा सूरियां से झील का अवलोकन तैरते पक्षियों व उनकी अठखेलियों को दृष्टिगत करता है।
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