Nalagarh Andolan In Himachal Pradesh-नालागढ़ आन्दोलन

 Nalagarh Andolan In Himachal Pradesh-नालागढ़ आन्दोलन

||Nalagarh Andolan In Himachal Pradesh-नालागढ़ आन्दोलन||Nalagarh Andolan In HP-नालागढ़ आन्दोलन||Nalagarh Movement In Himachal Pradesh in hindi-नालागढ़ आन्दोलन||

Nalagarh Andolan In Himachal Pradesh-नालागढ़ आन्दोलन


हिमाचल में आजादी की चिनगारी धीरे-धीरे फैलती रही । बहुत लंबे समय से यहां की जनता स्थानीय शासकों की निरंकुशता, हिंसा, शोषण और अन्याय सहती रही परंतु बाद में जनता ने इन शासकों के विरुद्ध आंदोलन करने शुरु कर दिए। हिमाचल प्रदेश में ये जन आंदोलन तीन प्रकार से चले । एक वो जो किसी विशेष स्थान के लोगों ने अपनी स्थानीय समस्याओं को लेकर चलाये। ये अधिकांश भूमि, भूमि लगान, भूमि बन्दोबस्त, बेठ-बगार, राजा या उसके कर्मचारियों की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध होते थे। इस प्रकार के आंदोलन शिमला की ऊपरी पहाड़ी रियासतों विशेषकर बुशहर में 'दुम्ह' और बिलासपुर में 'जुग्गा' और डांडरां नाम से जाने जाते थे। सन् 1859 में बुशहर रियासत में दुम्ह आंदोलन हुआ जिसे बड़ी कठिनाई से नियंत्रित किया गया। इसका मुख्य केन्द्र रोहडू का क्षेत्र था। बिलासपुर रियासत में जुग्गा और डांडरां प्रकार के आंदोलन हुए जिन्हें बड़ी सख्ती से में दबाया गया।

नालागढ़ आन्दोलन

1877 में राजा ईश्वर सिंह सिंहासन पर बैठा। उसके समय में वजीर गुलाम कादिर खान ने प्रजा पर नए कर लगा दिए और भूमि लगान बढ़ा दिए। जिसका प्रजा ने विरोध किया यद्यपि इस विद्रोह को बड़ी सख्ती से दबाने का प्रयास किया गया परंतु अन्त में जनता की मांगों को मानने के लिए राजा को विवश होना पड़ा और वजीर कादिर खान को निकाल दिया गया।


Read More: -   Himachal Pradesh General Knowledge




             Join Our Telegram Group

Top Post Ad